अनुवादक-: ऐली
एपीसोड 114 में जब सविता को पता चल जाता है कि गोविंदा उसके लायक नही है, सविता वापस घर आ जाती है और अशोक के साथ झगड़ा सुलझा लेती है. उसे पता है कि उसके और उसके पति के बीच में बहुत सी बातें सुलझानी पड़ेगी इसके पहले की वो एक वफादार बीवी बन सके. पर उसे इस बात का भी पता है कि अशोक कभी भी वैसा लवर नही बन सकता जो उसकी सारी यौन ईच्छाओं को शांत कर सके. तो सविता एक आश्रम जाने का फैसला करती है, अपनी मानसिक और आत्मिक शांति को सुधारने के लिए. वहां पर आश्रम के गुरुजी के साथ कुछ “गहन” चिंतन करने का उसे फायदा होता है और सविता इस तरह अपने अंदर का सच जानने में कामयाब होती है.
इस एपिसोड की कहानी हमने सविता भाभी और वेलम्मा कॉमिक्स के स्थापक देशमुख जी के साथ मिलकर रची है. हमें उम्मीद है आपको ये कहानी पसंद आएगी.
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