मित्र दल में रोहित को हमेशा शक्ति-पुरुष मानते रहे हैं। लेकिन क्या वह हमेशा से ही ऐसा था? या डेलिशा की तरह उसके पास भी कोई ऐसी कहानी है सुनाने के लिए? हाँ शायद ! ऐसा ही लगता है !
रोहित अपने दोस्तों को बताता है कि कैसे उसकी रुढ़िवादी दोस्त गनजी उसे अपने बदन को छूने भी नहीं देती थी। लेकिन सौभाग्यवश गनजी की चुदक्कड़ छोटी बहन वैसी रूढ़िवादी नहीं थी। जब रोहित को पहली बार अपना कौमार्य खोने का अवसर मिला तो वह मना कैसे कर देता? लेकिन अगर गनजी को पता चल गया तो? और ज्यादा महत्वपूर्ण तो यह है कि अगर उस समय अगर लड़की की माँ आ जाए तो क्या हो?
सात कहानियाँ के पाँचवें भाग में रोहित की पूरी कहानी देखिए – सब एक रंग हैं !