जब शीला युवा थी, उसके पास प्रेमियों की लम्बी कतार थी उसकी अपने तरीके से यौन-संतुष्टि के लिए ! उसका पति अब उसे उस ढंग से संतुष्ट कर पाने में असमर्थ है।
लेकिन अब समय के साथ साथ उसे अभी भी उसके बदन में सुलग रही कामुकता को पूरा करने के लिए नए तरीके खोजने की जरूरत है।
जो समय वो अपने घर की छत पर बिताती है वो केवल पौधों के लिए नहीं अपितु उसके अपने लिए भी है।
लेकिन जब उसके किशोर पड़ोसी शाम शीला को छत पर अपनी यौनाग्नि शान्त करते देखता है, तो वह अपने लिंग में हो रही सनसनी और उत्तेजना पर काबू नहीं रख पाता।
शीला के उस जुनून से उसे क्या प्राप्त होता है – क्या कुछ ऐसा जिससे वह सपनी कामाग्नि शान्त कर पाती है या उसे पछताना पड़ता है? क्या शाम उसकी भड़कती अन्तर्वासना को शान्त कर पाता है?
यह जानने के लिए दो कड़ियों में इस कामुक चित्र कथा “घर की छत” को पढ़ें !