लंबे समय से दमित यौन-आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शीला अपने किशोर पड़ोसी शाम के लिए अपने घर की छत के उद्यान में अपने नंगे बदन का प्रदर्शन करती है तो अपनी यौनेच्छा के अधीन होकर शाम अपने को रोक नहीं पाता और शीला के घर पहुँच जाता है।
शीला उसे देख कर समझ जाती है दोनों एक ही राह के राही हैं, दोनों की अन्तर्वासना अपने लिए किसी साथी के लिए बेचैन है।
अब समस्या यह है कि शाम कुंवारा है, यौन-क्षेत्र से अनजान है, काम कला में अनाड़ी है !
लेकिन खेली-खाई शीला से बेहतर कोई और हो सकता है जो शाम को यह खेल सिखा सके ?
क्या शाम वो सब सीख पाता है जो शीला उसे सिखाना चाहती है और क्या शाम शीला को संतुष्ट कर पाता है?
यह जानने के लिए देखें- “प्रणय-उद्यान में बीजारोपण”- घर की छत के दूसरे भाग में !